आखिर जगदीश डहेरिया ने कैसे साइकिल से कार तक का सफर तय कर लिया
सिवनी आज हम बात करेंगे जगदीश डहेरिया की अनोखी यात्रा की
सिवनी जिले के कान्हीवाड़ा सेवा सहकारिता समिति में अपनी सेवा दे रहे जगदीश डहेरिया विगत कई वर्षों से सेल्समैन के पद मैं रहकर अपनी सेवाएं दे रहे थे
लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व ही जगदीश का प्रमोशन हुआ है और उन्हें कान्हीवाड़ा सेवा सहकारी समिति का प्रबन्धक बना दिया गया है
ये पद उन्हें सहकारी समिति ने योग्यता के अनुसार दिया है या फिर उनके अनुभव के अनुसार ये तो कह पाना मुश्किल है परंतु अगर हम उनके कार्य शैली की बात करें तो इनके द्वारा धान खरीदी केंद्र एवं गेहूं खरीदी केंद्र का संचालन किया जाता है इस दौरान जगदीश डहेरिया के द्वारा भी प्रशासन को लाखों का चूना लगाया जाता है इसके प्रमाण है क्षेत्रीय अखबारों की कतरन अक्सर ये साफदेखा जाता है कि जगदीश धान खरीदी एवं गेहूं खरीदी के दौरान अखबारों की सुर्खियों पर बने रहते हैं
बावजूद इसके सहकारी समिति के वरिष्ठ अधिकारी भी जगदीश पर मेहरबान देखे जा सकते हैं कई शिकायतें भी जगदीश के खिलाफ संबंधित विभाग में की गई है परंतु उन शिकायतों पर कभी भी सेवा सहकारिता समिति कान्हीवाड़ा के वरिष्ठ अधिकारियों ने अभी तक कोई संज्ञान नहीं लिया है ये पैसों का खेल बताया जाता है जगदीश पैसों के दम पर अपने काले कारनामों को भी सफेद कारनामों में बदल देता है
बस स्टैंड कान्हीवाड़ा मैं ही है जगदीश का करोड़ों का घर
आइये अब हम जगदीश की प्रॉपर्टी के बारे में बात करते हैं
इनका कान्हीवाड़ा बस स्टैंड में ही लग्जरी करोड़ो का घर है इनके बड़े बेटे सोनू डहेरिया हर 6 महीने में अपना फोर व्हीलर वाहन बदल देते हैं जामुन टोला ग्राम पंचायत में भी इनकी करोड़ की जमीन है
और यहां ध्यान देने योग्य बात ये है कि जगदीश डहेरिया के पूरे परिवार में कमाने वाला केवल जगदीश ही है अगर हम जगदीश की सर्विस के दौरान इनकम की बात करें तो सब जोड़कर लगभग 10 लाख के करीब ही होती है सेल्समैन रहते हुए उन्हें ज्यादा से ज्यादा 9000 महीने ही सहकारी सेवा समिति देती रही होगी प्रबंधक बनने पर 15000 से ज्यादा तनख्वा नहीं मिलती होगी बावजूद इसके करोड़ों की संपत्ति जगदीश के पास कैसे आई ये एक सोचने योग्य बिंदु है जगदीश डहेरिया के काले कारनामों की काली कमाई से जगदीश ने खूब प्रॉपर्टी और फोर व्हीलर वाहन का आयात निर्यात किया है और प्रशासन को भी करोड़ों का चूना लगाया है ये कहना भी गलत नहीं होगा
जगदीश डहेरिया जैसे ना जाने कितने सेल्समैन प्रबंधक प्रशासन को करोड़ों का चूना लगा रहे हैं जनता का विकास ना करते हुए वह खुद के विकास को पूरी निष्ठा और ईमानदारी से कर रहे हैं आयकर विभाग लोकायुक्त को इस ओर ध्यान केंद्रित कर ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों से चला चल संपत्ति की जानकारी लेनी चाहिए
एक उदाहरण के साथ हम आपको समझाना चाहते हैं कि। एक भ्रष्ट आईएएस अधिकारी अपने जीवनकाल में कितना कमाता है?
एक आईएएस अधिकारी भ्रष्टाचार के बिना जीवनकाल में कितना कमाता है ?
यह उत्तर प्रसंभाव्यता पर आधारित है।
मान लिया जाय कि एक आईएएस औसतन 30 वर्ष नौकरी करता है। और पूरी सेवा में उसका औसत वेतन डेढ़ लाख बनता है तो एक साल में 18 लाख हुए। इस 18 लाख में से 10 लाख सालाना खर्च निकाल दें तो हर साल बचे 8 लाख। इस प्रकार 30 साल के अंत में उसके पास बचत हुई 2.40लाख। सीपीएफ में औसतन जमा 50 हजार महीना जमा किया तो साल में 6 लाख और 30 साल में 1.80 लाख हुआ और 1.80 लाख सरकारी अंश दान कुल मिलाकर 3.60 पेंशन फंड मिलेगा। ग्रेच्युटी 30 साल की सेवा के बाद 15 छमाही के हिसाब से 22.50 अथवा अधिकतम 20 लाख अभी के हिसाब से देय होगी। इस प्रकार अवकाश नगदीकरण 300 दिन अथवा 10 महीने का 15लाख हुआ। इस प्रकार सातवें वेतन आयोग के अनुसार उसे 30 वर्ष की सेवा पूरी करने पर कुल 2.40+3.60+.20+.15 = 6करोड 35 लाख रु. अनुमानित मिलने चाहिए। यह स्थिति तब है जब उसने कोई अचल संपत्ति जैसे मकान वगैरह नहीं खरीदा है, यदि वह अपने सेवा काल में अपनी बचत और लोन से 3–4 करोड़ का मकान ले लेता है तो सेवानिवृत्ति पर उसे 2.5–3 करोड़ ही मिलेंगे। यह पूरी तरह एक औसत आधार पर रफ आगणन है जो वेतन इत्यादि पर आयकर इत्यादि की कटौतियों के बाद मोटा-मोटी उसकी सात्विक कमाई से हो सकती है।
बावजूद इसके सात तौर पर देखा जा सकता है कि जगदीश ने अपने सेवा काल के दौरान ही सारी प्रॉपर्टी बनाई है इतनी संपत्ति को किस तरह काम कर अर्जित किया गया है ये तो जगदीश डहेरिया ही बता सकते हैं
खबर प्रकाशन के बाद अब देखना ये है कि प्रशासन का ध्यान जगदीश की तरफ केंद्रित होता है या नहीं
जगदीश की चला अचल संपत्ति को लेकर सीएम हेल्पलाइन में शिकायत भी कर दी गई है
आखिर जगदीश डहेरिया ने कैसे साइकिल से कार तक का सफर तय कर लिया ।
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